
मुफ़्त का चन्दन
कहावत चली आ रही है - "मुफ्त का चन्दन, घिस मेरे नन्दन" | सच कहूँ तो मुझे आज तक इसका सटीक अर्थ नहीं पता चला | …
कहावत चली आ रही है - "मुफ्त का चन्दन, घिस मेरे नन्दन" | सच कहूँ तो मुझे आज तक इसका सटीक अर्थ नहीं पता चला | …
हरीश नाम के एक व्यक्ति थे तो उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले मे रहते थे । वे माध्यम परिवार के थे । उनकी चार बेटिया और एक …
गाँव की मिट्टी गीली हुई सोधी खुशबु से महक उठी । जब बरसा पानी सावन का कलिया सारी चटक उठी ।। फूलो मे रंगत चढ़ी हुई बगि…
हिंदी मे साहित्य का हिंदी के विकास का । नित नई नई रचनाओ का होता सम्मान काव्य का ।। दोहा छंद विज्ञान का नित नये नये प्रय…
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनका कोई नाम नहीं होता मिलना तो मन का होता है दिल से संबंध नहीं होता। सां…
बुझती उम्मीदों से कह दो, अभी आस जारी है. खोए हुए हर सपनों की, अभी तलाश जारी है. भटक गया हूं राह से, पर चलना नहीं भुला ह…
सावन आया रे सावन आया रे बूंद बरसाता, बिजुरी चमकाता, धरा का अंग अंग सरसाया रे सावन आया रे... नदियां अलसाई हुई थी…