
प्यारचन्द शर्मा 'साथी'
वन में पाखी ढूंढ रहा है
वन में पाखी ढूंढ रहा है टहनी कोई, करे बसेरा । कोई सुरक्षित ठौर दिखे तो अपने पर समेटे । लिख दे पल दो चार खुशी के इस जीवन…
वन में पाखी ढूंढ रहा है टहनी कोई, करे बसेरा । कोई सुरक्षित ठौर दिखे तो अपने पर समेटे । लिख दे पल दो चार खुशी के इस जीवन…
सावन आया रे सावन आया रे बूंद बरसाता, बिजुरी चमकाता, धरा का अंग अंग सरसाया रे सावन आया रे... नदियां अलसाई हुई थी…