हरीश नाम के एक व्यक्ति थे तो उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले मे रहते थे । वे माध्यम परिवार के थे । उनकी चार बेटिया और एक बेटा था । सबसे छोटी लड़की का नाम था शीला । शीला धीरे धीरे बड़ी होने लगी थी । वह बचपन से ही बहुत तेज थी अपने सभी भाई बहनो मे और बहुत सुन्दर भी थी । उसके माता पिता ने उसका घर के नजदीक एक स्कूल मे दाखिला करवा देते है । वो पहले ही कक्षा मे प्रथम स्थान पा कर पास हुई थी । उसका दिमाग बहुत तेज था । एक बार मे ही वह समझ जाती थी कि मास्टर साहेब क्या पढा रहे है । इस तरह वो आगे की कक्षा मे जाने लगी । धीरे धीरे उसकी बहनो की शादिया होने लगी और वो भी अब बड़ी होने लगी थी । वो कक्षा आठ के बाद कुछ बच्चो को टुय्शन भी पढ़ाने लगी । जिससे उसकी शिक्षा का सारा खर्च निकल आता ठगा और कुछ घर मे भी सहयोग करती थी । उसकी बहने कम पढी लिखी थी और उनकी शादिया भी कम पढे लिखे लड़को से हुई । जिससे उसकी बहनो की आर्थिक स्तिथि ठीक नही रहती थी जब तब उसकी बहने अपने मायके पर ही निर्भर रहती थी । एक
तो उसके घर की भी हालत ठीक नही थी उस पर व्याही बहनो का भी बोझ उसके परिवार पर था । ये हालत देख कर उसने मन ही मन ठान लिया था कि मै उच्च शिक्षा लेकर अपने पैरो पर खड़ी होउंगी जिससे मै अपने परिवार का बोझ न बनूँ । यही सोच कर वो अपनी पढ़ाई मे अथक परिश्रम करने लगी घर का सारा काम काज करते हुए उसने हाई स्कूल की परीक्षा अपने जिले मे टाप करके अपने परिवार का और अपने विद्यालय का नाम रोशन किया । अब उसके विद्यालय मे उसकी धाक बन गई और उसकी शिक्षा का सरा खर्च विद्यालय उठाने लग गया । इधर वो होने ट्यूशन भी पढ़ाती थी । ट्यूशन से जो आर्थिक लाभ होता था वो अपनी बहनो के उपर खर्च कर देती थी । उसके घर की माली हालत बहुत कमजोर होने की वजह से उसके पिता अपने पुत्र को लेकर गुजरात कमाने चले गये । पिता और पुत्र मिल कर मजदूरी करते थे जो पैसा बचता था वो अपने घर भेज देते थे । इधर शीला ने अपनी पढ़ाई मे खूब मेहनत करके इंटर की परीक्षा भी जिला टाप करके पास हुई । अब उसका नाम और बढ़ गया पूरे समाज मे और घर परिवार मे । अब उसने बी ए मे दाखिला लिया जौनपुर विश्वविद्यालय मे कला संकाय मे । समाज शास्त्र उसका बहुत पसंदीदा विषय था वो इस विषय के द्वारा समाज का अध्ययन करना चाहती थी । इसलिए उसने समाज शास्त्र से बी ए प्रथम श्रेणी मे परीक्षा पास किया और विद्यालय से उसे छात्रवृति भी मिल गई जिससे उसकी आगे की पढ़ाई एक् रफ्तार मिल गई ।अब उसने एम ए मे दाखिला ले लिया और एम ए मे भी विश्वविद्यालय टाप किया । उसके बाद उसने डबल एम ए किया संस्कृत विषय से और उसमे भी विश्वविद्यालय टाप किया । अब आगे की पढ़ाई के लिए वो अपने शिक्षकों से सलाह लेने लगी कि अब क्या करे जिससे भविष्य सुरक्षित हो जाए । तो उसके शिक्षकों की सलाह से उसने बी एड करने का फैसला किया । उसकी शैक्षिक योग्यता को देखते हुए उसको बी एड मे भी छात्रवृति मिल गई । इसी दौरान उसके पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लगी कि कोई उचित घर का लड़का मिल जाये तो बिटिया की शादी कर दे । शीला ने अभी शादी का विरोध भी किया अपनी माँ से उसने कहा कि जब तक मेरी पढ़ाई पूरी नही हो जाती और मेरी नौकरी नही लग जाती है तब तक शादी नही करुँगी लेकिन उसकी कहाँ चलने वाली थी । माता पिता उसकी शादी के लिए लड़के की खोज करने लगे सभी रिस्तेदारो से कहने लगे कि बिटिया के लिए कोई लड़का बताओ । इसी बीच उसके एक जानने वाले ने कहा मे मेरे पास एक लड़का है जो बनारस मे रहता है अच्छा मकान है और उसके पिता सरकारी नौकरी से रिटायर हुए है । उसकी सभी बहनो की शादी हो गई है और उसके बड़े भाई की भी शादी हो गई है अब यही लड़का है शादी के योग्य । तो शीला के पिता ने पूछा कि लडके की शिक्षा के बारे मे तो उन्होंने बताया कि लड़का ग्रेजुएशन कर चुका है और प्राइवेट नौकरी करता है । दहेज़ की भी कोई माँग नही है । कोई नशा भी नही करता है । लेकिन ये सब झूठी बात थी लड़का हाई स्कूल पास था और नशा भी बहुत करता था । पता नही कि उसके मित्र ने क्यु झूठ बोला ठगा शीला के पिता से । खैर शीला के पिता लड़के को देखने आये और अपने मित्र पर विश्वास करके शीला का विवाह तय कर दिया । शादी बड़े धूमधान से हुई शीला के पिता ने बहुत अच्छा इंतज़ाम किया था बरातियों के लिए और विदाई मे अपनी हैसियत के हिसाब से दहेज़ भी खूब दिया था ।
शीला विदा हो कर ससुराल चली आई । सुहागरात वाले दिन लड़का नशे मे शीला के पास आया तो शीला ने लड़के से प्रश्न किया क्या तुमने नशा किया है तो लड़के ने कहा कि दोस्तों के संग विवाह की पार्टी थी उसी मे सबने जबरजस्ती शराब पिला दिया । शीला चुप हो गई क्या कर भी सकती थी ।
धीरे धीरे समय बीतता गया उसने अपनी बी एड की पढ़ाई जारी रखी और अच्छी रैंक लाकर बी एड पास कर लिया । डेढ वर्ष पश्चयात उसके एक बेटी हो गई । उधर उसका पति रोज़ नशे मे घर आता था । इसी नशे की वजह से उसकी नौकरी भी छूट जाती थी । अब शीला परेशान होने लगी । फिर उसने निश्चय किया कि अब हम नौकरी की तलाश करेंगे और किसी अच्छे स्कूल के पढ़ाएंगे जिससे मेरी ग्रहस्थी अच्छी चले । लेकिन इसमे उसकी ससुराल वालो ने इसका विरोध किया कि तुम नौकरी नही करोगी । नही तो तुम बाहर जा कर गुल खिलाओगी । इतना बढ़ा लान्छन लगा दिया शीला के ऊपर । फिर शीला अपने मायके चली गई अपनी बेटी को लेकर और वापस ससुराल न आने का निश्चय कर लिया । लेकिन कुछ समय पश्चयात उसको ये एहसास होने लगा कि क्या मै भी अपनी बहनो की तरह घर का बोझ बन जाऊंगी और शीला के मोहल्ले मे भी कानाफूसी होने लगी कि।लगता है शीला ने अपने आदमी को छोड़ दिया । होसकता है कि शीला का चक्कर कही और चल रहा हो । मोहल्ले की औरते शीला की माँ से धीरे धीरे पूछने लगी कि क्या शीला ने अपने आदमी को छोड़ दिया । सबको जवाब देते देते उसकी माँ परेशान होने लगी । तब उसकी माँ ने शीला से बात किया कि बेटी हमारे समाज मे लड़की इस तरह से अपने पति को छोड़ कर अपने मायके नही आ सकती है इससे तुम्हारी और हमारी इज्जत जा रही है । मोहल्ले मे बहुत कुछ कानाफूसी हो रही है । इस लिए तुम अपनी ससुराल चली जाओ और अपने पति को धीरे धीरे समझाओ कि नशा न करे । शीला ने अपनी माँ से कहा कि माँ मै उनको बहुत समझा चुकी हूँ लेकिन वो नही मानता है । और वो हाई स्कूल पास है केवल कुछ कमाता नही है हर चीज के लिए मुझे अपनी सास से कहना पड़ता है दस रुपये की भी जरूरत होती है तो मुझे अपनी सास से मांगना पड़ता है । हम इस पर भी खुश रहे । जब हमने उन लोगो से कहा कि मै इतनी पढाई की है तो हमको उसका लाभ लेने दो कम से कम हम की कमाये तो वो लोग मुझ पर लान्छन लगाते है तो मै क्या करूँ । घर की परेशानी को देखते हुए वो अपनी चाची के पास मुंबई चली गई । वहाँ रह कर वो एक स्कूल मे पढ़ाने लग गई । उसको स्कूल से तीस हजार रुपये तन्खाह मिलने लग गई । अब उसने सोच लिया कि मै अब अपनी लाइफ यही पर सेटेल कर लुूंगी । कुछ समय बाद उसकी सास का फोन आया शीला के पास और उससे कहा कि अब उनका लड़का नशा नही करता है । अपनी नौकरी कर रहा है । और पोती को देखने का मन बहुत हो रहा है । तुम यहां वापस आ जाओ फिर जो तुम्हे अच्छा लगे वो करना । इस बात पर उसके चाचा चाची और उसके पिता ने शीला को वहुत समझाया और उसको लेकर वापस उसकी ससुराल आ गये । धीरे धीरे फिर वही हालात हो गये । जब जब शीला नौकरी के लिए कहती तब तब उसके ससुराल मे कलह मच जाती है । अब शीला की हालत ऐसी हो गई कि वह न घर की रह गई न घाट की । वो दिन रात शोक मे डूबी रहती है और अपने को कोसती रहती है कि मै कितनी अभागान हूँ कि इतनी शिक्षा पा कर भी मै कुछ नही कर सकती हूँ । मै अभागान हूँ मै आभागन हूँ बस ।
निवेदन :- उपरोक्त कहानी मे किस किस का दोष है शीला की लाइफ बर्बाद करने मे । कृपया समीक्षा करके बताये ।
उत्तम कुमार तिवारी "उत्तम"
३६१ " का पुराना टिकैत गंज
लखनऊ
पिन कोड २२६०१७
सम्पर्क सूत्र :- 7452015444
तो उसके घर की भी हालत ठीक नही थी उस पर व्याही बहनो का भी बोझ उसके परिवार पर था । ये हालत देख कर उसने मन ही मन ठान लिया था कि मै उच्च शिक्षा लेकर अपने पैरो पर खड़ी होउंगी जिससे मै अपने परिवार का बोझ न बनूँ । यही सोच कर वो अपनी पढ़ाई मे अथक परिश्रम करने लगी घर का सारा काम काज करते हुए उसने हाई स्कूल की परीक्षा अपने जिले मे टाप करके अपने परिवार का और अपने विद्यालय का नाम रोशन किया । अब उसके विद्यालय मे उसकी धाक बन गई और उसकी शिक्षा का सरा खर्च विद्यालय उठाने लग गया । इधर वो होने ट्यूशन भी पढ़ाती थी । ट्यूशन से जो आर्थिक लाभ होता था वो अपनी बहनो के उपर खर्च कर देती थी । उसके घर की माली हालत बहुत कमजोर होने की वजह से उसके पिता अपने पुत्र को लेकर गुजरात कमाने चले गये । पिता और पुत्र मिल कर मजदूरी करते थे जो पैसा बचता था वो अपने घर भेज देते थे । इधर शीला ने अपनी पढ़ाई मे खूब मेहनत करके इंटर की परीक्षा भी जिला टाप करके पास हुई । अब उसका नाम और बढ़ गया पूरे समाज मे और घर परिवार मे । अब उसने बी ए मे दाखिला लिया जौनपुर विश्वविद्यालय मे कला संकाय मे । समाज शास्त्र उसका बहुत पसंदीदा विषय था वो इस विषय के द्वारा समाज का अध्ययन करना चाहती थी । इसलिए उसने समाज शास्त्र से बी ए प्रथम श्रेणी मे परीक्षा पास किया और विद्यालय से उसे छात्रवृति भी मिल गई जिससे उसकी आगे की पढ़ाई एक् रफ्तार मिल गई ।अब उसने एम ए मे दाखिला ले लिया और एम ए मे भी विश्वविद्यालय टाप किया । उसके बाद उसने डबल एम ए किया संस्कृत विषय से और उसमे भी विश्वविद्यालय टाप किया । अब आगे की पढ़ाई के लिए वो अपने शिक्षकों से सलाह लेने लगी कि अब क्या करे जिससे भविष्य सुरक्षित हो जाए । तो उसके शिक्षकों की सलाह से उसने बी एड करने का फैसला किया । उसकी शैक्षिक योग्यता को देखते हुए उसको बी एड मे भी छात्रवृति मिल गई । इसी दौरान उसके पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लगी कि कोई उचित घर का लड़का मिल जाये तो बिटिया की शादी कर दे । शीला ने अभी शादी का विरोध भी किया अपनी माँ से उसने कहा कि जब तक मेरी पढ़ाई पूरी नही हो जाती और मेरी नौकरी नही लग जाती है तब तक शादी नही करुँगी लेकिन उसकी कहाँ चलने वाली थी । माता पिता उसकी शादी के लिए लड़के की खोज करने लगे सभी रिस्तेदारो से कहने लगे कि बिटिया के लिए कोई लड़का बताओ । इसी बीच उसके एक जानने वाले ने कहा मे मेरे पास एक लड़का है जो बनारस मे रहता है अच्छा मकान है और उसके पिता सरकारी नौकरी से रिटायर हुए है । उसकी सभी बहनो की शादी हो गई है और उसके बड़े भाई की भी शादी हो गई है अब यही लड़का है शादी के योग्य । तो शीला के पिता ने पूछा कि लडके की शिक्षा के बारे मे तो उन्होंने बताया कि लड़का ग्रेजुएशन कर चुका है और प्राइवेट नौकरी करता है । दहेज़ की भी कोई माँग नही है । कोई नशा भी नही करता है । लेकिन ये सब झूठी बात थी लड़का हाई स्कूल पास था और नशा भी बहुत करता था । पता नही कि उसके मित्र ने क्यु झूठ बोला ठगा शीला के पिता से । खैर शीला के पिता लड़के को देखने आये और अपने मित्र पर विश्वास करके शीला का विवाह तय कर दिया । शादी बड़े धूमधान से हुई शीला के पिता ने बहुत अच्छा इंतज़ाम किया था बरातियों के लिए और विदाई मे अपनी हैसियत के हिसाब से दहेज़ भी खूब दिया था ।
शीला विदा हो कर ससुराल चली आई । सुहागरात वाले दिन लड़का नशे मे शीला के पास आया तो शीला ने लड़के से प्रश्न किया क्या तुमने नशा किया है तो लड़के ने कहा कि दोस्तों के संग विवाह की पार्टी थी उसी मे सबने जबरजस्ती शराब पिला दिया । शीला चुप हो गई क्या कर भी सकती थी ।
धीरे धीरे समय बीतता गया उसने अपनी बी एड की पढ़ाई जारी रखी और अच्छी रैंक लाकर बी एड पास कर लिया । डेढ वर्ष पश्चयात उसके एक बेटी हो गई । उधर उसका पति रोज़ नशे मे घर आता था । इसी नशे की वजह से उसकी नौकरी भी छूट जाती थी । अब शीला परेशान होने लगी । फिर उसने निश्चय किया कि अब हम नौकरी की तलाश करेंगे और किसी अच्छे स्कूल के पढ़ाएंगे जिससे मेरी ग्रहस्थी अच्छी चले । लेकिन इसमे उसकी ससुराल वालो ने इसका विरोध किया कि तुम नौकरी नही करोगी । नही तो तुम बाहर जा कर गुल खिलाओगी । इतना बढ़ा लान्छन लगा दिया शीला के ऊपर । फिर शीला अपने मायके चली गई अपनी बेटी को लेकर और वापस ससुराल न आने का निश्चय कर लिया । लेकिन कुछ समय पश्चयात उसको ये एहसास होने लगा कि क्या मै भी अपनी बहनो की तरह घर का बोझ बन जाऊंगी और शीला के मोहल्ले मे भी कानाफूसी होने लगी कि।लगता है शीला ने अपने आदमी को छोड़ दिया । होसकता है कि शीला का चक्कर कही और चल रहा हो । मोहल्ले की औरते शीला की माँ से धीरे धीरे पूछने लगी कि क्या शीला ने अपने आदमी को छोड़ दिया । सबको जवाब देते देते उसकी माँ परेशान होने लगी । तब उसकी माँ ने शीला से बात किया कि बेटी हमारे समाज मे लड़की इस तरह से अपने पति को छोड़ कर अपने मायके नही आ सकती है इससे तुम्हारी और हमारी इज्जत जा रही है । मोहल्ले मे बहुत कुछ कानाफूसी हो रही है । इस लिए तुम अपनी ससुराल चली जाओ और अपने पति को धीरे धीरे समझाओ कि नशा न करे । शीला ने अपनी माँ से कहा कि माँ मै उनको बहुत समझा चुकी हूँ लेकिन वो नही मानता है । और वो हाई स्कूल पास है केवल कुछ कमाता नही है हर चीज के लिए मुझे अपनी सास से कहना पड़ता है दस रुपये की भी जरूरत होती है तो मुझे अपनी सास से मांगना पड़ता है । हम इस पर भी खुश रहे । जब हमने उन लोगो से कहा कि मै इतनी पढाई की है तो हमको उसका लाभ लेने दो कम से कम हम की कमाये तो वो लोग मुझ पर लान्छन लगाते है तो मै क्या करूँ । घर की परेशानी को देखते हुए वो अपनी चाची के पास मुंबई चली गई । वहाँ रह कर वो एक स्कूल मे पढ़ाने लग गई । उसको स्कूल से तीस हजार रुपये तन्खाह मिलने लग गई । अब उसने सोच लिया कि मै अब अपनी लाइफ यही पर सेटेल कर लुूंगी । कुछ समय बाद उसकी सास का फोन आया शीला के पास और उससे कहा कि अब उनका लड़का नशा नही करता है । अपनी नौकरी कर रहा है । और पोती को देखने का मन बहुत हो रहा है । तुम यहां वापस आ जाओ फिर जो तुम्हे अच्छा लगे वो करना । इस बात पर उसके चाचा चाची और उसके पिता ने शीला को वहुत समझाया और उसको लेकर वापस उसकी ससुराल आ गये । धीरे धीरे फिर वही हालात हो गये । जब जब शीला नौकरी के लिए कहती तब तब उसके ससुराल मे कलह मच जाती है । अब शीला की हालत ऐसी हो गई कि वह न घर की रह गई न घाट की । वो दिन रात शोक मे डूबी रहती है और अपने को कोसती रहती है कि मै कितनी अभागान हूँ कि इतनी शिक्षा पा कर भी मै कुछ नही कर सकती हूँ । मै अभागान हूँ मै आभागन हूँ बस ।
निवेदन :- उपरोक्त कहानी मे किस किस का दोष है शीला की लाइफ बर्बाद करने मे । कृपया समीक्षा करके बताये ।
उत्तम कुमार तिवारी "उत्तम"
३६१ " का पुराना टिकैत गंज
लखनऊ
पिन कोड २२६०१७
सम्पर्क सूत्र :- 7452015444