
व्यग्र पाण्डेय
सावन आया रे
सावन आया रे सावन आया रे बूंद बरसाता, बिजुरी चमकाता, धरा का अंग अंग सरसाया रे सावन आया रे... नदियां अलसाई हुई थी…
सावन आया रे सावन आया रे बूंद बरसाता, बिजुरी चमकाता, धरा का अंग अंग सरसाया रे सावन आया रे... नदियां अलसाई हुई थी…