आज के दिन उन परिवारों के प्रति हृदय से सहानुभूति जिन्हें कह दिया गया था कि आज से तुम भारतीय नहीं हो ।
जमीन वही, आसमान वही।
बस अब तुम्हारा हिन्दुस्तान नहीं ।।
क्या गुजरी होगी उन लोगों पर ??
और जो उस जमीन और आसमान को छोड़कर बचा हुआ हिन्दुस्तान ढूंढने चले वो रास्ते में ही लूट गए, दफन हो गए।
कितना हृदय विदारक दृश्य रहा होगा ।
काश कोई महसूस कर पाये।
जो राम कृष्ण के वंशज थे । युधिष्ठिर और विक्रमादित्य की प्रजा थे उन्हें एकतरफा फैसला सुनाकर कह दिया कि अब तुम काट कर फेंक दिए गए हो सड़े गले अंग की तरह....
शायद यही तो कलयुग की सबसे बड़ी क्रूरता ...…