बहुत याद तुम मुझको आती हों माँ
कितने नखरे उठाती थी, तुम जो मुझे मानती थी,
नहीं खाने बैंगन भिंडी, कहकर जो मै इतराती थी,
नयी नयी खाने की फरमाइशे भी गाती थी,
उठाती थी तुम सब नखरे मेरे नित नया कुछ बनाती थी,,,,
क्या बनाऊँ ,क्या खाओगी तुम,
आज पूछता नहीं कोई आवाज वो सुनाई देती नहीं,,,
जो होता है वो खुद बना कर खा लेती हूँ,
सारे नखरे दिखाना भूल गयी हूंँ,
तब बहुत याद आती हो माँ,,,,,,
घर का जो थोड़ा सा काम करती थी, तो माँ तारीफ में कहती थी--
मेरी रानी बेटी ने आज तो बहुत काम कर दिया,
अब कर कर के थक गयी हूंँ,
तारीफ करता नहीं कोई तब बहुत याद आती हो माँ
पहनती थी जो चूड़ियाँ तुम्हारी
तुम मेरे हाथों को चुम लेती थी
लग ना जाए नजर कहीं बलाएँ तुम लेती थी,
चली जाएगी लाडो ससुराल मेरी
ये सोच कर जो सीने से तुम लगा लेती थी,
सीने से तुम्हारे लगकर जो मुझे रोना आता था,
आज रोती रहती हूँ सीने से लगाता नहीं कोई,,,
बहते आँसू खुद ही पोछं लेती हूँ
यहाँ तुम सा लगता नहीं कोई, तब बहुत याद आती हो माँ
माँ माँ माँ
रानी शर्मा
धौलपुर बाड़ी
राजस्थान
धौलपुर बाड़ी
राजस्थान
Rani ji Aapki Kavita Bahut Bhavuk Karne Wali H Very Nice 🙏🥺
जवाब देंहटाएंबहोत बहोत धन्यवाद अदर्णीय, bhav h mnn k, bhav hi समझ सकते है
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